अच्छे विचारों से एकाग्रता आती है।
एकाग्रता होने पर धर्म-ध्यान होगा।
अच्छे विचारों के लिये 4 विषय दिये हैं –
1. आज्ञा-विचय
2. अपाय-विचय
3. उपाय-विचय
4. संस्थान-विचय
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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4 Responses
धर्मध्यान का तात्पर्य पंचपरमेष्ठी, शास्त्र स्वाध्याय, तत्त्व चिंतन, रत्नत्रय व संयम में मन लगाना होता है। अतः मुनि महाराज ने जो धर्म ध्यान का विश्लेषण किया गया है वह पूर्ण सत्य है।अच्छे विचारों में एकाग्रता रहती है, इसके होने पर ही धर्म ध्यान हो सकता है।
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धर्मध्यान का तात्पर्य पंचपरमेष्ठी, शास्त्र स्वाध्याय, तत्त्व चिंतन, रत्नत्रय व संयम में मन लगाना होता है। अतः मुनि महाराज ने जो धर्म ध्यान का विश्लेषण किया गया है वह पूर्ण सत्य है।अच्छे विचारों में एकाग्रता रहती है, इसके होने पर ही धर्म ध्यान हो सकता है।
‘अपाय-विचय’ aur ‘उपाय-विचय’ me kya difference hai ?
अपाय = दु:ख किन कारणों से !
उपाय = दुःख कैसे दूर हो !
Okay.