चार चरण में –
1. चेतन – विकल्प सहित, प्रारंभिक अवस्था
2. चेतन – निर्विकल्प
3. अचेतन – विकल्प
4. अचेतन-निर्विकल्प… साधुओं कि ध्यान अवस्था ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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यह कथन भी सत्य है कि धार्मिक क़ियाये चार प़कार से की जाती है।सबसे उत्तम अचेतन और निर्विकल्प होता है जो साधुओ के ध्यान की अवस्था है।अतः श्रावको के लिए चेतन अवस्था में विकल्प रहित करना चाहिए ताकि इस अवस्था से आगे बढने का मार्ग है जो कल्याण की दिशा में अग़सर होगा।
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यह कथन भी सत्य है कि धार्मिक क़ियाये चार प़कार से की जाती है।सबसे उत्तम अचेतन और निर्विकल्प होता है जो साधुओ के ध्यान की अवस्था है।अतः श्रावको के लिए चेतन अवस्था में विकल्प रहित करना चाहिए ताकि इस अवस्था से आगे बढने का मार्ग है जो कल्याण की दिशा में अग़सर होगा।