ध्यान में ना तो णमोकार, ना ही भगवान का नाम लिया जाता है।
सामायिक में ये नाम लिये जाते हैं तथा गृहस्थ लोग हर समय इन नामों को ध्याते हैं।
मुनि श्री सुधासागर जी
Share this on...
One Response
ध्यान का तात्पर्य चित्त की एकाग्रता होना चाहिए। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि ध्यान में न तो णमोकार,न ही भगवान का लिया जाता है। जबकि सामायिक में यह नाम लिए जातें हैं, जबकि ग़हस्थ लोग हर समय इन नामों को ध्यातें हैं। लेकिन उक्त नामों को लेते समय समता के भाव होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
One Response
ध्यान का तात्पर्य चित्त की एकाग्रता होना चाहिए। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि ध्यान में न तो णमोकार,न ही भगवान का लिया जाता है। जबकि सामायिक में यह नाम लिए जातें हैं, जबकि ग़हस्थ लोग हर समय इन नामों को ध्यातें हैं। लेकिन उक्त नामों को लेते समय समता के भाव होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।