नयन
नयन यानि ‘नय + न’,
यानि नयों के परे।
शांत, निर्विकल्प तथा सरल दृष्टि वाले ही ‘नयन’ होते हैं ।
(बाकि सब तो सिर्फ दिखने वाली आँखें हैं, नयन नहीं क्योंकि नयों के परे यानि दौनों आँखोँ या दृष्टियों से देखना, अनेकांत दृष्टि, एक आँख से देखना एकांत है । )
आचार्य श्री विद्यासागर जी