नय
नय दो प्रकार का है –
1. दुर्नय… मेरा दृष्टिकोण ही सही है।
2. सुनय… यह मेरा दृष्टिकोण है (सही का आग्रह नहीं)।
क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
नय दो प्रकार का है –
1. दुर्नय… मेरा दृष्टिकोण ही सही है।
2. सुनय… यह मेरा दृष्टिकोण है (सही का आग्रह नहीं)।
क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
One Response
क्षुल्लक श्री जिनेन्द्र वर्णी जी ने नय का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में दृष्टिकोण सही हो तभी बताना चाहिए।