पहले से सातवें नरकों में बिलों की संख्या तथा नारकियों की संख्या भी कम होती जाती है लेकिन दु:ख बढ़ते जाते हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 3/2)
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने नरकों के बिल को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने नरकों के बिल को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।