नारकियों/देवों में कषाय
चारौ कषायें नरकियों/ देवों में अंतर्मुहूर्त तक बनी रहती हैं।
देवों में क्रोध सबसे कम, उत्तरोत्तर (संख्यात गुणा) मान, माया, लोभ।
यदि क्रोध को 1 मानें तथा संख्यात को 4, तो मान = 4, माया = 16, लोभ = 64 होगा।
कषायों की तीव्रता तथा देवों की संख्यायें भी इसी अनुपात में होंगी।
नारकियों में यह क्रम होगा → लोभ, माया, मान, क्रोध।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने नारकियों एवं देवों में कुछ कषायों का वर्णन किया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में श्रावकों को भी कषायों पर नियंत्रण करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
Par Devon me ‘kashayon ki teevrata’ kam hoti jaani chahiye, and opposite for ‘Naaraki’ na ?
देव हों या नारकी, चारों कषायों की आपस में तुलना की जा रही है। जैसे देवताओं में क्रोध सबसे कम तथा लोभ सबसे ज्यादा।
नारकियों में लोभ कम क्रोध ज्यादा ।
Okay.