निगोदिया की आयु

स्वांस का 1/18 भाग ( जिसमें निगोदिया एक बार जीता और एक बार मरता है ) आज के 1 सेकेंड़ के 1/24 वें भाग के बराबर होता है । यह आयु लब्धिपर्याप्तक की है, पर्याप्तक निगोदिया की आयु अन्तर्मुहूर्त होती है ।

कर्मकांड़ गाथा : – 220

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