नियतवाद/क्रमबद्ध पर्याय किसी भी पूर्व आचार्यों ने नहीं कही ।
ये तो अमरबेल है, जिसकी जड़ नहीं पर आधार को ही चूस लेती है / चूूूस रही है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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6 Responses
नियतवाद का मतलब जो जब, जिसके द्वारा जिस प्रकार से,जिसका नियम से होता है,यह तब ही, उसके द्वारा, तिस प्रकार से होता है,ऐसा मानना होता है। इसे एकान्त मिथ्यात्व कहते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि नियतवाद या क़मबद्व पर्याय किसी भी आचार्यों ने नहीं कहा गया है। यह अमरबेल है,जिसकी जड़ नहीं पर आधार को चूस लेती है या ले रही है। अतः जीवन में कभी क़मबद्व का आश्रय नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह मिथ्यात्व कथन है।
क्रमबद्ध पर्याय किसी पुराने शास्त्र के आधार पर न होकर, वर्तमान के पंडितों के दिमागों की उपज है जो जैन दर्शन के कर्मसिद्धांत/ पुरुषार्थ रूपी जड़ को चूस रही है।
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नियतवाद का मतलब जो जब, जिसके द्वारा जिस प्रकार से,जिसका नियम से होता है,यह तब ही, उसके द्वारा, तिस प्रकार से होता है,ऐसा मानना होता है। इसे एकान्त मिथ्यात्व कहते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि नियतवाद या क़मबद्व पर्याय किसी भी आचार्यों ने नहीं कहा गया है। यह अमरबेल है,जिसकी जड़ नहीं पर आधार को चूस लेती है या ले रही है। अतः जीवन में कभी क़मबद्व का आश्रय नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह मिथ्यात्व कथन है।
Can meaning of the last line be explained, please?
नियतवाद यानि सब कुछ भाग्य के अनुसार होता है, पुरुषार्थ का कोई role नहीं;
क्रमबद्ध पर्याय यानि सब कुछ prefixed क्रम के अनुसार ही होता है।
Can meaning of ” ये तो अमरबेल है, जिसकी जड़ नहीं पर आधार को ही चूस लेती है / चूूूस रही है ” be explained please?
क्रमबद्ध पर्याय किसी पुराने शास्त्र के आधार पर न होकर, वर्तमान के पंडितों के दिमागों की उपज है जो जैन दर्शन के कर्मसिद्धांत/ पुरुषार्थ रूपी जड़ को चूस रही है।
Okay.