मनुष्य यंत्रों की सहायता लेकर भी भटक जाता है ।
पक्षी हजारों किलोमीटर बिना यंत्रों के अपने गंतव्य पर पहुँच जाते हैं, क्योंकि वे लीक/परम्परा पर चलते हैं ।
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उक्त कथन सत्य है कि मनुष्य यंत्रों की सहायता लेकर भी भटकते रहते हैं क्योंकि आजकल पश्चिमी संस्कृति को ग़हण करने के कारण भारतीय संस्कृति को भुला बैठे हैं। लेकिन पशु पक्षी अपनी पुरानी लीक और परम्परा पर चलते रहते हैं।
अतः मनुष्य को अपनी पुरानी आदत एवं परम्परागत आर्दश पर चलना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण कर सकते हैं।
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उक्त कथन सत्य है कि मनुष्य यंत्रों की सहायता लेकर भी भटकते रहते हैं क्योंकि आजकल पश्चिमी संस्कृति को ग़हण करने के कारण भारतीय संस्कृति को भुला बैठे हैं। लेकिन पशु पक्षी अपनी पुरानी लीक और परम्परा पर चलते रहते हैं।
अतः मनुष्य को अपनी पुरानी आदत एवं परम्परागत आर्दश पर चलना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण कर सकते हैं।