जो पाप रूप सामग्री पेट में डालते हैं तथा पाप करते हैं, उनका पापी-पेट ।
साधु, शुद्ध सामग्री लेने वाले का पेट पापी कैसे ?
वे पाप काटते हैं, उन पापों को जो पेट में पहले के भरे हुए हैं ।
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पाप का मतलब जो आत्मा को शुभ से बचाएं वह होता है अथवा दूसरों के प्रति अशुभ परिणाम होना होता है। हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग़ह पाप हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि जो पाप रुपी सामग्री पेट में डालते हैं तथा पाप करते हैं उनका पापी पेट होता है जबकि साधु, शुद्ध सामग्री लेने वाले का पापी पेट कैसे हो सकता है क्योंकि वह तो पाप काटते हैं जो पहिले पाप से भरे हुए होते हैं।
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पाप का मतलब जो आत्मा को शुभ से बचाएं वह होता है अथवा दूसरों के प्रति अशुभ परिणाम होना होता है। हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग़ह पाप हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि जो पाप रुपी सामग्री पेट में डालते हैं तथा पाप करते हैं उनका पापी पेट होता है जबकि साधु, शुद्ध सामग्री लेने वाले का पापी पेट कैसे हो सकता है क्योंकि वह तो पाप काटते हैं जो पहिले पाप से भरे हुए होते हैं।