पाप बंध पर नियंत्रण
1. चुनाव लड़ना नहीं है लेकिन कौन जीते/हारे, इसे लेकर आपस में लड़ाई क्यों ? क्या इससे पापबंध नहीं होगा !
2. जानवरों को मारना नहीं चाहते पर क्या चमड़ा/ सिल्क/ सच्चे मोतियों का प्रयोग करके हिंसा को प्रोत्साहित नहीं कर रहे ?
ऐसी तमाम असावधानियों से हम बहुत से पापबंध करते रहते हैं, जिनसे बचा जा सकता है/ बचना चाहिए।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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पाप का मतलब जो आत्मा को शुभ से बचाये, इसमें हिंसा,चोरी,परिग़ह आदि आते हैं।कर्म बंध तो हर पल होते रहते हैं। अतः मुनि श्री का कथन सत्य है कि ऐसी असावधानी से हमें पाप बंध होता है, इससे बचने का प्रयास करना आवश्यक है।