पारिणामिक भाव

तीनों (जीवत्व, भव्यत्व, अभव्यत्व) जीव/ द्रव्य में बने रहते हैं। उस तरह का परिणमन हर समय बना रहता है।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थसूत्र- 2/7)

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6 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने परिणामिक भाव का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

  2. Par kisi bhi jeev ke(sansaari) do hi parinamik bhav rahenge, aur mukt jeev ke sirf ‘जीवत्व’, right ? Ise clarify karenge, please ?

    1. तीन में से जीवत्व plus ‘भव्यत्व, अभव्यत्व’ में से कोई एक संसार में, सिर्फ जीवत्व बाद में ।

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