बड़े नोट को खुलवाते नहीं, छुपाकर रखते हैं ।
ऐसे ही पुण्य – छोटे मोटे कामों के लिये खर्च मत करो,
उसका प्रदर्शन भी मत करो,
लक्ष्मी का प्रदर्शन नहीं/सरस्वती का प्रदर्शन सही है ।
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4 Responses
पुण्य—जो आत्मा को पवित्र करता है या जिससे आत्मा पवित्र होती है। अथवा जीव के दया दान पूजा आदि रुप शुभ परिणाम को पुण्य कहते हैं।जब जीव को पुण्य का उदय होता है तो जीव अपने पुण्य को भोगों में उपयोग करते हैं जिससे पुण्य क्षीण होने लगता है। पुण्य के उपयोग की जगह उसका त्याग करना चाहिए। अतः यह कथन सत्य है कि बड़े नोट को खुलवाते नहीं है बल्कि उसको छिपाकर रखतें हैं ऐसे ही पुण्य को छोटे मोटे कामो में खर्च नहीं करना चाहिए और उसका प्रर्दशन भी नहीं करना चाहिए। अतः जीवन में लक्ष्मी का प्रर्दशन नहीं करना चाहिए बल्कि सरस्वती का प्रर्दशन सही होता है।
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पुण्य—जो आत्मा को पवित्र करता है या जिससे आत्मा पवित्र होती है। अथवा जीव के दया दान पूजा आदि रुप शुभ परिणाम को पुण्य कहते हैं।जब जीव को पुण्य का उदय होता है तो जीव अपने पुण्य को भोगों में उपयोग करते हैं जिससे पुण्य क्षीण होने लगता है। पुण्य के उपयोग की जगह उसका त्याग करना चाहिए। अतः यह कथन सत्य है कि बड़े नोट को खुलवाते नहीं है बल्कि उसको छिपाकर रखतें हैं ऐसे ही पुण्य को छोटे मोटे कामो में खर्च नहीं करना चाहिए और उसका प्रर्दशन भी नहीं करना चाहिए। अतः जीवन में लक्ष्मी का प्रर्दशन नहीं करना चाहिए बल्कि सरस्वती का प्रर्दशन सही होता है।
“Saraswati” ka pradarshan sahi kyun hai?
प्रभावना की अपेक्षा ।
Okay.