पुरुषार्थ

निगोद से मोक्ष जाने तक की राह में पुरुषार्थ की मुख्यता रहती है। पथरीली/ खतरनाक रास्ता चुन लें या पूर्व मोक्षगामियों का सरल रास्ता। ज्यादातर तो Reverse में गति करके वापस निगोद में पहुँच जाते हैं।

चिंतन

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One Response

  1. चिंतन में पुरुषार्थ को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि अपने उद्देश्य में सफलता मिल सकती है।

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