निगोद से मोक्ष जाने तक की राह में पुरुषार्थ की मुख्यता रहती है। पथरीली/ खतरनाक रास्ता चुन लें या पूर्व मोक्षगामियों का सरल रास्ता। ज्यादातर तो Reverse में गति करके वापस निगोद में पहुँच जाते हैं।
चिंतन
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चिंतन में पुरुषार्थ को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि अपने उद्देश्य में सफलता मिल सकती है।
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चिंतन में पुरुषार्थ को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि अपने उद्देश्य में सफलता मिल सकती है।