पुरुषार्थ

जीवन बहुआयामी है सो पुरुषार्थ भी।

    • रचनात्मक जैसे माता पिता का बच्चों के लिये।
    • गैर-रचनात्मक बच्चों का माता पिता के लिये।

हमारे पुरुषार्थ में कितने रचनात्मक कितने गैर-रचनात्मक !
गैर-रचनात्मक करते समय कर्म-सिद्धांत का ध्यान रखें कि इनका फल क्या होगा !!

ब्र. डॉ. नीलेश भैया

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6 Responses

  1. ब़ डाॅ नीलेश भैया जी ने पुरुषार्थ को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए रचनात्मक पुरुषार्थ करते रहना परम आवश्यक है। इसके अलावा कर्म सिद्धांत पर भरोसा रखकर पुरुषार्थ करना चाहिए।

  2. ‘गैर-रचनात्मक बच्चों का माता पिता के लिये।’ Is sentence ko thoda aur clarify karenge, please?

  3. Agar bacche maa aur baap ki niswaarth seva karte ho to bhi unka purushartha, ‘गैर-रचनात्मक’ kehlaayega ? Ise clarify karenge, please ?

    1. बचपन में सारे बच्चे गैर-रचनात्मक, आगे जाकर मेजॉरिटी।

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