प्रदेशी

बहुप्रदेशी भी अभेद दृष्टि से एक प्रदेशी कहा जा सकता है,
क्योंकि प्रदेश खंड़ित नहीं होते जैसे सूत की माला में गाँठें ।
जैसे चारों विदिशाओं को 360 – 4 दिशा = 356 तथा असंख्यात भी कह सकते हैं ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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