प्रभुकृपा
“प्रभु का दास,
कभी उदास नहीं,
क्योंकि प्रभु है पास”
तब सोच…. जो हो सो हो (हमको क्या) कर्मों का फल सुनिश्चित फिर संयोग वियोग से घबराना क्यों ?
पत्नी/ बेटा/ बेटी तो परछायी हैं, कर्मों की।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
“प्रभु का दास,
कभी उदास नहीं,
क्योंकि प्रभु है पास”
तब सोच…. जो हो सो हो (हमको क्या) कर्मों का फल सुनिश्चित फिर संयोग वियोग से घबराना क्यों ?
पत्नी/ बेटा/ बेटी तो परछायी हैं, कर्मों की।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
मुनि महाराज का प़भुकृपा पर विवेचना का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है ! उपरोक्त कथन सत्य भी है कि मनुष्य भगवान की विशुद्वी पूर्वक अपने हृदय में रख उपासना करके अपने जीवन का कल्याण कर सकता है! प़भुकृपा उसको मिलती है जो उनके कहे गए सिद्वांत पर अमल करते हैं!