प्रार्थना / आभार

“प्रार्थना” से ज्यादा “आभार” प्रकट करना कारगर होता है।
प्रार्थना में नकारात्मकता/दीनता है/ अपने व्यक्तित्व को गिराना है/ अवसर कभी-कभी आते हैं, जब आप मुसीबत में फंस गये हों/ कर्म सिद्धांत पर विश्वास कम होता है/ अपने और अपनों के लिये होती है। आभार में ये सब नहीं है।

चिंतन

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4 Responses

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि प्रार्थना में आभार प्रकट करना ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।प़ार्थना में नकारात्मक, दीनता अपने व्यक्तित्व को गिराना होता है। जीवन में कर्म सिद्धांत पर जो श्रद्वान करते हैं वह जीवन में विचलित नहीं होते हैं।सुख दुःख में समता भाव का आभार व्यक्त करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

  2. “प्रार्थना में ज्यादा आभार” or
    “प्रार्थना se ज्यादा आभार”?

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