भगवान की शरण में संसारी इच्छा-पूर्ति के लिये जाना मिथ्यात्व नहीं है,
अज्ञानता है जैसे वृक्ष से छाया मांगना ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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भगवान् के पास इच्छाओं की पूर्ति के लिए जाते हैं बल्कि भगवान् की शरण आने से सुख शान्ति मिलती हैं।जो लोग मिथ्यात्व के कारण जाते हैं वह अज्ञानी होते हैं, जेसे वृक्ष से छाया मांगना। जेसे वृक्ष अपने आप ही छाया देते हैं उसी प्रकार भगवान् से मांगने की इच्छाये नहीं करना चाहिए।
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भगवान् के पास इच्छाओं की पूर्ति के लिए जाते हैं बल्कि भगवान् की शरण आने से सुख शान्ति मिलती हैं।जो लोग मिथ्यात्व के कारण जाते हैं वह अज्ञानी होते हैं, जेसे वृक्ष से छाया मांगना। जेसे वृक्ष अपने आप ही छाया देते हैं उसी प्रकार भगवान् से मांगने की इच्छाये नहीं करना चाहिए।