स्वयं को बदलना…कितना कठिन है…
फिर
दूसरे को बदलना…कैसे सरल हो सकता है !
(मंजू)
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यह कथन बिलकुल सत्य है। जब तक मनुष्य अपने स्वयं को नहीं बदलेंगे तब तक किसी को बदलने का प्रयास नहीं हो सकता है। जब तक स्वयं का आचरण ठीक नहीं करेंगे तब तक किसी में बदलाव नहीं ला सकते हैं। अतः स्वयं में बदलाव लाना है तो धमँ से जुडना चाहिए तभी आपका कल्याण होगा और दूसरों का कल्याण कर सकेंगे।
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यह कथन बिलकुल सत्य है। जब तक मनुष्य अपने स्वयं को नहीं बदलेंगे तब तक किसी को बदलने का प्रयास नहीं हो सकता है। जब तक स्वयं का आचरण ठीक नहीं करेंगे तब तक किसी में बदलाव नहीं ला सकते हैं। अतः स्वयं में बदलाव लाना है तो धमँ से जुडना चाहिए तभी आपका कल्याण होगा और दूसरों का कल्याण कर सकेंगे।