भाव
गोदाम में यदि माल नहीं भरा होगा तो भाव बढ़ने पर नफा कैसे होगा! इसलिये अंतरंग में अच्छा माल तो होना ही चाहिए, भाव जब भी सुधरेंगे, मालामाल हो जायेंगे !
सम्यक्त्त्व के भाव आने पर श्रावक चौथे गुणस्थान की जगह 5वें में सीधा जायेगा, श्रमण चौथे गुणस्थान की जगह 7वें में।
आर्यिका श्री विज्ञानमती माताजी
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भावों को जैन धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सम्यक्तव भाव आने पर श्रावक चोथे स्थान की जगह पांचवें में सीधा जावेगा जबकि श्रमण चोथे गुणस्थान की जगह सातवें में पहुंचते हैं। जीवन में जब विशुद्ध भाव होंगे तभी जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।