शकुनी जुए के भाग्य भरोसे जीवन चलाना चाह रहा था,
हश्र !
मैना सुंदरी ने सिर्फ पूजा/विधान ही नहीं, आठ दिनों तक दानादि करके पुण्य/दुआयें कमायीं, उसका फल देख लो !!
मुनि श्री सुधासागर जी
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पुरुषार्थ का मतलब चेष्टा या प़यत्न करना होता है।यह चार प्रकार के होते हैं।धर्म और मोक्ष के लिए पुरुषार्थ ही जीव को मोक्ष प्राप्त कराता है। धर्म से रहित होना संसार बढ़ाने वाला होता है। भाग्य के भरोसे कुछ नहीं प्राप्त हो सकता है। अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कभी भाग्य भरोसे नहीं रहना चाहिए बल्कि जीवन में हर क्षेत्र में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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पुरुषार्थ का मतलब चेष्टा या प़यत्न करना होता है।यह चार प्रकार के होते हैं।धर्म और मोक्ष के लिए पुरुषार्थ ही जीव को मोक्ष प्राप्त कराता है। धर्म से रहित होना संसार बढ़ाने वाला होता है। भाग्य के भरोसे कुछ नहीं प्राप्त हो सकता है। अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कभी भाग्य भरोसे नहीं रहना चाहिए बल्कि जीवन में हर क्षेत्र में पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।