कम प्रकाश में घड़ी में समय नहीं दिखता। दृष्टि को सुइयों पर केन्द्रित करें, तो समय का पता लग जाता है।
कम या ज़्यादा प्रकाश भाग्य से होता है; दृष्टि को सही बिन्दु पर केन्द्रित करना पुरुषार्थ से।
नासिकाग्र पर दृष्टि केंद्रित करने पर समय (आत्मा) का पता लग जाता है।
चिंतन
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2 Responses
पुरुषार्थ का तात्पर्य चेष्टा या प़यास करना होता है पुरुषार्थ का महत्व धर्म,कर्म,काम और मोक्ष में रहता है। जीवन में धर्म और कर्म के द्वारा मोक्ष मिल सकता है लेकिन इनसे रहित संसार बढ़ाने वाला होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि कम ज्यादा प़काश भाग्य से रहता है लेकिन अपनी द्वष्टि को सही उद्देश्य पर केन्द्रित करना पुरुषार्थ होता है। अतः जीवन में भाग्य भरोसे नहीं रहना चाहिए बल्कि पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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पुरुषार्थ का तात्पर्य चेष्टा या प़यास करना होता है पुरुषार्थ का महत्व धर्म,कर्म,काम और मोक्ष में रहता है। जीवन में धर्म और कर्म के द्वारा मोक्ष मिल सकता है लेकिन इनसे रहित संसार बढ़ाने वाला होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि कम ज्यादा प़काश भाग्य से रहता है लेकिन अपनी द्वष्टि को सही उद्देश्य पर केन्द्रित करना पुरुषार्थ होता है। अतः जीवन में भाग्य भरोसे नहीं रहना चाहिए बल्कि पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
Very true