भाव / उपयोग

भाव (शुभ/अशुभ) मन के,
उपयोग आत्मा का ।
भाव से उपयोग,
शुभ उपयोग तो भाव शुभ, पर भाव शुभ तो उपयोग शुभ हो भी या कम अशुभ भी ।
भाव से शुरुआत, यह शुभ/अशुभ उपयोग में बदलेंगे आत्मा के कर्मोदय (मिथ्यात्व/कषाय की मंदता/तीव्रता) के अनुसार ।
फिर वह आत्मा की परिणति बन जाती है जैसे ऊपरी गुणस्थान वाला सब जीवों पर दया भाव रखता है ।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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4 Responses

    1. मंदिर जाते समय भाव शुभ, उपयोग भी प्रायः शुभ लेकिन अशुभ निमित्त मिलने पर भी उपयोग उतना अशुभ नहीं रहेगा जितना मंदिर के बाहर होता यानि कम अशुभ ।

  1. जीवन में भाव शुद्ध और अशुद्ध दोनों होते हैं। जीवन में अशुद्व भाव लाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। जब शुद्व भाव आयेगे तभी उसकी उपयोगिता अवश्य फलीभूत होगी। भावों का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है, अतः जीवन में हमेशा शुद्व भाव रखना अनिवार्य है ताकि कल्याण हो सकता है।

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