भावना
सोमवार – सोम (चंद्र) शीतलता;
मंगल – मंगलमय;
बुध – ज्ञान;
गुरुवार – गुरु का दिन;
शुक्रवार – भगवान को शुक्रिया;
शनिवार – शनि पर विजय (क्षमा द्वारा);
रविवार – छुट्टी का दिन (क्रोध की छुट्टी) ।
आर्यिका दृढ़मति माताजी
सोमवार – सोम (चंद्र) शीतलता;
मंगल – मंगलमय;
बुध – ज्ञान;
गुरुवार – गुरु का दिन;
शुक्रवार – भगवान को शुक्रिया;
शनिवार – शनि पर विजय (क्षमा द्वारा);
रविवार – छुट्टी का दिन (क्रोध की छुट्टी) ।
आर्यिका दृढ़मति माताजी
One Response
भाव का तात्पर्य जीव के परिणाम को कहते हैं। जैन धर्म में भावनाओं का महत्वपूर्ण स्थान है। अतः जिसकी जैसी भावना होती है,उसी प्रकार का परिणाम मिलता है।
अतः माता जी का कथन सत्य है कि भावनाओं को दिन के हिसाब से जोड़ा गया है। माता जी ने उदाहरण दिए हैं वह पूर्ण सत्य हैं, इसमें शंका नहीं करना चाहिए।