भाव का तात्पर्य जीव में परिणाम को कहते हैं।भाव के भी पांच भाग होते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि भाव इन्दिय उपयोग को ही कहते हैं। जीवन में शुद्ध भाव इन्द़ियों के होने पर ही अपना कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं। Reply
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भाव का तात्पर्य जीव में परिणाम को कहते हैं।भाव के भी पांच भाग होते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि भाव इन्दिय उपयोग को ही कहते हैं। जीवन में शुद्ध भाव इन्द़ियों के होने पर ही अपना कल्याण करने में समर्थ हो सकते हैं।