भोग तीन तरह से होता है –
भोगों की वस्तुओं को –
1) रखकर
2) ग्रहण करके
3) उनमें प्रवृत्ति करके ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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4 Responses
भोग- – जो वस्तु एक ही बार भोगने में आती है उसे कहते हैं, जैसे अन्न,पान,गंध,माला आदि।
प्रवृत्ति- – शरीर के द्वारा होने वाली गमनागमन आदि रुप । अतः यह कथन सत्य है कि भोग तीन तरह से होता है। भोगों की वस्तुओं को रखकर, ग़हण करके अथवा उनमें प्रवृत्ति करके।
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भोग- – जो वस्तु एक ही बार भोगने में आती है उसे कहते हैं, जैसे अन्न,पान,गंध,माला आदि।
प्रवृत्ति- – शरीर के द्वारा होने वाली गमनागमन आदि रुप । अतः यह कथन सत्य है कि भोग तीन तरह से होता है। भोगों की वस्तुओं को रखकर, ग़हण करके अथवा उनमें प्रवृत्ति करके।
“Pravratti” karna aur “grahan” karne mein kya difference hai?
1) किसी के पिता ने भोग सामिग्री छोड़ी
2) पुत्र ने उस सामिग्री को स्वीकार लिया
3) पुत्र ने उस सामिग्री को भोग लिया
Okay.