मंगलकारी
सुंदरता के साथ जब चारित्रिक-गुण मिल जाते हैं तब वह मंगलरूप-चेहरा हो जाता है और उनके दर्शन मंगलकारी बन जाते हैं जैसे आचार्य श्री विद्यासागर जी ।
सिर्फ सुंदरता तो बहुतों में मिल जाती है पर वह राग उत्पन्न करने वाली होती है।
मुनि श्री सुधासागर जी
5 Responses
I think this line needs correction: “सिर्फ सुंदरता तो बहुतों में मिल जाती है पर वह राग उत्पन्न करती है, मंगलकारी बन जाती है ।”
“मंगलकारी बन जाती है” ये तो ऊपर की लाइन में है!
थोड़ा और clear किया है, अब देखो!!
उपरोक्त कथन सत्य है कि सुन्दरता के साथ चारित्रिक गुणों का मिल जाना चाहिए,तब मंगल स्वरुप चेहरा हो जाता है, एवं उनके दर्शन ही मंगलकारी बन जाते हैं,यही स्वरुप आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का है,तभी दर्शन मंगलकारी हो जाते हैं। सुन्दरता बहुतों में मिल जाती है, लेकिन उससे राग उत्पन्न हो जाता है। अतः जीवन में चरित्र होना चाहिए ताकि वह मंगल हो सकता है।
Okay.
Jee Uncle !