यह कथन सत्य है कि मंन्दिर चाहे घर का हो या भगवान् का हो ।चैत्यालय में अकेले मूर्ति की स्थापना होती है, जो मंन्दिर नहीं कहा जा सकता है। Reply
Magar “चैत्यालय” bhi to kisi ka “घर” ho sakata hai? Besides, hum apne “घर” ko “मंदिर” kyun nahin kahte? Reply
चैत्यालय = चैत्य(भगवान की मूर्ति) का आलय(घर) । मंदिर तो घरों के नाम ही नहीं, टाकीजों के नाम में भी प्रयोग किया जाता है जैसे मराठा-मंदिर । Reply
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यह कथन सत्य है कि मंन्दिर चाहे घर का हो या भगवान् का हो ।चैत्यालय में अकेले मूर्ति की स्थापना होती है, जो मंन्दिर नहीं कहा जा सकता है।
Magar “चैत्यालय” bhi to kisi ka “घर” ho sakata hai? Besides, hum apne “घर” ko “मंदिर” kyun nahin kahte?
चैत्यालय = चैत्य(भगवान की मूर्ति) का आलय(घर) ।
मंदिर तो घरों के नाम ही नहीं, टाकीजों के नाम में भी प्रयोग किया जाता है जैसे मराठा-मंदिर ।