मति – श्रुतावधयो विपर्ययश्च

मति, श्रुत और अवधिज्ञान सच्चे भी हैं और मिथ्या भी ।
आचार्य श्री कहते हैं – ये तीनों मिश्र भी होते हैं ।
(आचार्य श्री का अर्थ ज्यादा तर्क संगत है, क्योंकि सम्यक्त्व – मिथ्यात्व गुणस्थान में इन ज्ञानों को ना तो मिथ्या कह सकते हैं और ना ही सम्यक्त्व )

तत्वार्थ सूत्र -1/31

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