हाथ की चार उंगलियां अविरति आदि तथा अंगूठा मिथ्यात्व के कारण।
चारों उंगलियां मिथ्यात्व की सहायक हैं। जब मुट्ठी बँधती* है तब मिथ्यात्व(अंगूठे) को अविरति आदि (उंगलियां) दबा लेतीं हैं।(उसका प्रभाव समाप्त/ दब जाता है)
चिंतन
* प्रण लिया जाता है
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चिंतन में मिथ्यात्व को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है । अतः जीवन में मिथ्यात्व से बचना परम आवश्यक है।
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चिंतन में मिथ्यात्व को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है । अतः जीवन में मिथ्यात्व से बचना परम आवश्यक है।