मिथ्यादर्शन

वर्तमान सम्बंधों (चेतन तथा अचेतन के साथ) को निभाना मिथ्यादर्शन नहीं,
उनके साथ त्रैकालिक सम्बंध मानना मिथ्यादर्शन है ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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One Response

  1. मिथ्यादर्शन का मतलब मिथ्यात कर्म के उदय से समीचीन तत्वों के विषय में अश्रद्वान होना है अथवा अरिहंत भगवान् के द्वारा बनाए गए मार्ग से विपरीत मार्ग में श्रद्वान होना है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि वर्तमान सम्बन्धों यानी चेतन तथा अचेतन को निभाने में मिथ्यादर्शन नहीं होता है बल्कि उनके साथ त्रैकालिक सम्बन्ध मानना मिथ्यादर्शन होता है।

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