मुक्ति
इस काल में तो मुक्ति नहीं, तो धर्म क्यों करें ?
लाइन में तो लग लें !
पर लाइन में लग कर क्या करोगे, जब खिड़की बंद है !
दोषों/ दुर्बलताओं/ आकुलताओं से मुक्त्ति तो आज भी है,
धर्म प्रलोभन के लिये नहीं, आत्मकल्याण के लिये करें।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
मुक्ती तो हर जीव चाहता है, इसके बिना कुछ नहीं हो सकता है। अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। उपरोक्त कथन सत्य है कि दोषों, दुर्बलताओं और आकुलताओं से भी मुक्ति मिल सकती हैं। अतः धर्म का आश्रय लेना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। धर्म तो आत्म कल्याण के लिए होता है।