मुनिपद और प्रभुदर्शन
मुनियों ने आचार्य श्री विद्यासागर जी से पूछा…
अष्टापद की यात्रा करने जा सकते हैं?
आचार्य श्री – क्यों मुनि चर्या से श्रद्धा उठ गयी है क्या?
वहाँ Heater/Oxygen के बिना रह पाओगे!
भगवान के साक्षात दर्शन से भी ज्यादा मुनिपद महत्त्वपूर्ण होता है।
(क्योंकि दर्शन आराधना है, मुनिपद साधना)
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनियों से तात्पर्य… अवधि ज्ञानी, मन:पर्यय ज्ञानी और केवल ज्ञानी को कहा जाता है।यह वीतरागी होते हैं इसके अलावा 14वें गुणस्थान को पाने को करते हैं।
अतः उपरोक्त कथन जो आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा है वह पूर्ण सत्य है। मुनियों में आकुलता नहीं होना चाहिए बल्कि उनको अपने नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है।