अशुद्ध आहार से पाप बंध,
शुद्ध आहार से पुण्य बंध,
शुद्धोपयोग से निर्जरा ।
(क्योंकि क्षुधा तो है ना)
ज्ञानशाला
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4 Responses
मुनियों को आहार देना सबसे उत्तम दान है। अशुद्व आहार से पाप का बंध होता है लेकिन शुद्व आहार देने से पुण्य बंध होता है।
शुद्वोपयोग का मतलब रागादि विकल्पों से रहित आत्मा की निष्छल दशा ही है। अतः शुद्वोपयोग से निर्जरा होती है।
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मुनियों को आहार देना सबसे उत्तम दान है। अशुद्व आहार से पाप का बंध होता है लेकिन शुद्व आहार देने से पुण्य बंध होता है।
शुद्वोपयोग का मतलब रागादि विकल्पों से रहित आत्मा की निष्छल दशा ही है। अतः शुद्वोपयोग से निर्जरा होती है।
Yahan par muniyon dwara aahar lene par bandh ki baat ho rahi hai , na?
सही, item Heading के साथ पढ़ें ।
Okay.