आ. जिनसेन 2 बार राजाओं के दरबार में गये ।
खंडेला राजा ने प्रजा को जैन बनाया (तभी से वे खंडेलवाल बने)
रावण के दरबार में कैदी को छुड़ाकर मुनि बनवाने, एक मुनि गये थे ।
आज यदि कोई मुनि विधान-सभा में संबोधित करते हैं तो आपत्ति नहीं है ।
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मुनियों का कार्य स्वयं का आत्मकल्याण एवं दूसरों का भी कल्याण करना होता है। मुनि उस जगह जाते हैं, जहां धर्म से जुड़ सकें औरों को जोड़ सकें, जिससे हर प़ाणी का कल्याण हो सके।
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मुनियों का कार्य स्वयं का आत्मकल्याण एवं दूसरों का भी कल्याण करना होता है। मुनि उस जगह जाते हैं, जहां धर्म से जुड़ सकें औरों को जोड़ सकें, जिससे हर प़ाणी का कल्याण हो सके।