साधु का शरीर औदारिक होता है, इसलिये बिना सोले के कपड़ों में भी छू सकते हैं ।
भगवान का शरीर परमऔदारिक, इसलिये उनकी मूर्ति को भी सोले के कपड़े पहन कर ही छूते हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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यह कथन सत्य है कि साधू का शरीर औदारिक होता है इसलिये उनको बिना सोले के कपड़े पहिनकर छू सकते हैं।भगवान् का शरीर परम औदारिक होता है जिसको छूने के लिए सोले के कपड़े पहिनकर ही छू सकते हैं।परम औदारिक शरीर जब होता है जब मोक्ष प़ाप्त होता है।
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यह कथन सत्य है कि साधू का शरीर औदारिक होता है इसलिये उनको बिना सोले के कपड़े पहिनकर छू सकते हैं।भगवान् का शरीर परम औदारिक होता है जिसको छूने के लिए सोले के कपड़े पहिनकर ही छू सकते हैं।परम औदारिक शरीर जब होता है जब मोक्ष प़ाप्त होता है।