मूल्य

बंदर के हाथ हीरा पड़ गया, खाकर देखा, फेंक दिया ।
हीरा रो पड़ा !!
गुरु – मूल्य तभी है जब उसका ज्ञान हो तथा उसका उपयोग हो ।
क्या हम मनुष्य पर्याय का मूल्य जानते हैं ?
यदि जान भी गये हैं तो क्या उसका सदुपयोग कर रहे हैं ??

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4 Responses

  1. उपरोक्त कथन बिलकुल सत्य है ।
    जीवन का मूल्य समझने के लिए, अपना चारित्र सुधारने का, प्रयास करना होगा ।चारित्र की value है; उसकी तरफ़ अपना उद्देश्य बनाना चाहिए ।

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