मेरा कोई नहीं
“मेरा कोई नहीं” महत्वपूर्ण मंत्र है पर इसे जपने से निराशा/ दु:ख और-और बढ़ जाते हैं, ऐसा कैसे ?
क्योंकि हम अधूरे मंत्र को जपते हैं, इसकी अगली लाइन है – “मैं भी किसी का नहीं” ।
इस पूर्ण मंत्र को जपते ही वैराग्य पनपने लगेगा, दु:ख/ निराशा कम होने लगेगी ।
मुनि श्री महासागर जी
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि मेरा कोई नहीं है, यह महत्वपूर्ण मंत्र है, लेकिन इसके जपने से निराशा एवं दुख बढ़ जाते हैं,ऐसा इसलिए कि हम अधूरे मंत्र को पढ़ते हैं, यदि इसमें जोड़ दिया जाए कि मैं भी किसी का नहीं। अतः इसका पूर्ण मंत्र पढ़ने पर बैराग्य पनपने के भाव आवेंगे, तब दुःख एवं निराशा अपने आप कम होने लगेगी। अतः जब तक पर में द्वष्टि होगी तब तक दुखी एवं निराशा हमेशा रहेगी।