रसना
प्रसिद्ध आचार्य वसुनंदि (पुराने) ने लिखा है –
साधु की (किसी व्यक्ति की भी) आहार-चर्या देख लेना, यदि सही है (शास्त्रानुसार है) तो उनकी अन्य चर्यायें देखने की आवश्यकता नहीं है ।
यदि सही नहीं है, तो भी अन्य चर्यायें देखने की आवश्यकता नहीं है ।
क्योंकि जिसने रसना-इंद्रिय पर नियंत्रण कर लिया उसने सब इंद्रियों पर नियंत्रण कर लिया ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है क्योंकि जो रसना इंद़िय पर नियंत्रण कर सकता हैं वह सभी इन्द्रियों पर नियन्त्रण कर सकता है। अतः जब आहार चर्या किसी की देख ली गई है तो उसकी अन्य चर्या देखने की आवश्यकता नहीं रहती है।