संसार का राग, द्वेष में परिवर्तित होता है,
परमार्थ का वैराग्य में ।
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यह कथन सत्य है कि संसार में राग करने से द्वेष और आसक्ती मे परिवर्तन हो जाता है लेकिन परमार्थ से राग करने से वैराग्य का रास्ता प़ाप्त मिलता है।अतः जीवन में परमार्थ से राग करना ही श्रेष्ठ है जो जीवन का उद्वार कर सकता है।
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यह कथन सत्य है कि संसार में राग करने से द्वेष और आसक्ती मे परिवर्तन हो जाता है लेकिन परमार्थ से राग करने से वैराग्य का रास्ता प़ाप्त मिलता है।अतः जीवन में परमार्थ से राग करना ही श्रेष्ठ है जो जीवन का उद्वार कर सकता है।