उलझे जो कभी मुझसे तो, आप सुलझा लेना;
रिश्ते का एक सिरा,
आपके हाथों में भी तो है..
🙏🏻 सुरेश 🙏🏻
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रिश्ते का एक सिरा स्वयं के हाथों में होता है। अतः रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए स्वयं के हाथ को मजबूत बनाना चाहिये तभी दूसरे के हाथ को मजबूत बना सकते हो। आप अपने हाथ को रिश्ते के लिए मजबूत नहीं बना सकते हो तो रिश्ते कभी भी नहीं बन सकते हैं।
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रिश्ते का एक सिरा स्वयं के हाथों में होता है। अतः रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए स्वयं के हाथ को मजबूत बनाना चाहिये तभी दूसरे के हाथ को मजबूत बना सकते हो। आप अपने हाथ को रिश्ते के लिए मजबूत नहीं बना सकते हो तो रिश्ते कभी भी नहीं बन सकते हैं।