डाकू से बातें कितने आदरपूर्वक, ध्यान देकर पर अरुचि से करते हैं; मित्र से रुचिपूर्वक।
संसारीयों से पूरा ध्यान, आदर पूर्वक पर अंदर से अरुचिपूर्वक, परमार्थियों से रुचिपूर्वक बातें करें/सम्बंध रखें।
चिंतन
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उपरोक्त कथन सत्य है कि संसारियों से पूरा ध्यान एवं आदर पूर्वक पर अंदर से अरुचि प़ूर्वक होना चाहिए लेकिन परमार्थियों से रुचि पूर्वक बातें करना चाहिए एवं सम्बन्ध अच्छा रखना चाहिए। जीवन में धर्म एवं गुरुओं की वाणी का रुचि पूर्वक अध्ययन करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि संसारियों से पूरा ध्यान एवं आदर पूर्वक पर अंदर से अरुचि प़ूर्वक होना चाहिए लेकिन परमार्थियों से रुचि पूर्वक बातें करना चाहिए एवं सम्बन्ध अच्छा रखना चाहिए। जीवन में धर्म एवं गुरुओं की वाणी का रुचि पूर्वक अध्ययन करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।