दानादि लब्धियाँ क्षयोपशमिक या क्षायिक क्योंकि दानादि दे पा रहे हो।
न दे पाना औदयिक-भाव से।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
Share this on...
One Response
औदयिक भाव का मतलब जीव के जो भाव कर्म के उदय से उत्पन्न होता है।
लब्धि का मतलब तप से प्राप्त होने वाली रिद्धि। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि दानादि लब्धियां क्षपोपशमिक या क्षायिक क्योंकि दान दे पा रहे हो, न दे पाना औदियिक भाव होता है।
One Response
औदयिक भाव का मतलब जीव के जो भाव कर्म के उदय से उत्पन्न होता है।
लब्धि का मतलब तप से प्राप्त होने वाली रिद्धि। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि दानादि लब्धियां क्षपोपशमिक या क्षायिक क्योंकि दान दे पा रहे हो, न दे पाना औदियिक भाव होता है।