लब्धियां

क्षयोपशम लब्धि – कमों की अनुभाग शक्ति घटने लगती है।
विशुद्ध लब्धि – क्षयोपशम बढ़ाने से।
देशना लब्धि – विशुद्ध भावों से देशना ग्रहण करना।
प्रायोग्य लब्धि – स्थिति बंध अंत: कोड़ा-कोड़ी सागर का।
करण लब्धि – 3 प्रकार के करणों की प्राप्ति → (अध:, अपूर्व और निवृत्ति)।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड :गाथा– 351)

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One Response

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने लब्धियां के उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

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