लेश्या

जो कर्मों से आत्मा को लिप्त करती है ।
सयोग-केवली, के शुक्ल लेश्या होती है क्योंकि उनके साता कर्म का बंध होता रहता है, हालांकि कषाय नहीं होती हैं ।
अयोग-केवली, लेश्या रहित होते हैं ।

जिज्ञासा समाधान पेज नं. 38

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