वस्तु अनेक धर्मात्मक

पर्याय अनंत होती हैं, इसीलिये वस्तु को अनेक धर्मात्मक कहा है ।
अपने स्वभाव के अनुसार सत्, पर की अपेक्षा असत् है ।
एक ज्ञान अनेक धर्मों को एक साथ जान सकता है पर एक शब्द एक समय में एक ही धर्म को कह सकता है ।

करुणानुयोग दीपक – 224 गाथा

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