वस्तु-स्वभाव: धर्म:
वस्तु का स्वभाव ही धर्म है*।
पर स्वभाव तो बदलता रहता है तो क्या धर्म भी बदलता रहता है ?
धर्म 2 प्रकार का –>
1. क्रियात्मक जो द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव और भावों के अनुसार बदलता रहता है।
2. सिद्धांतात्मक जो कभी बदलता नहीं जैसे आत्मा का स्वभाव… ज्ञाता, दृष्टा।
मोक्षमार्ग में सिद्धांतात्मक धर्म लगता है।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
*धम्मो वत्थुसहावो – कार्तिकेयानुप्रेक्षा (आचार्य श्री कार्तिकेय स्वामी)।
(कमल कांत)
6 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने वस्तु स्वभाव धर्म को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
मोक्षमार्ग में kya ‘क्रियात्मक धर्म’ ka koi role nahi hai ? Ise clarify karenge, please ?
क्रियात्मक धर्म, सिद्धांतात्मक धर्म को सपोर्ट करता है।
Tab phir kyun kaha ki ‘मोक्षमार्ग में सिद्धांतात्मक धर्म लगता है।’ Ise clarify karenge, please?
सिद्धांतात्मक मेन है और क्रियात्मक उसको सपोर्ट करता है।
Okay.