मंदिर में/गुरु के दर्शन करते समय जूते ऐसी जगह उतारें जहाँ भगवान/गुरु की नज़र न पड़े ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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विनय का तात्पर्य पूज्य पुरुषों का आदर करना है अथवा रत्नत्रय धारण करने वाले पुरुषों के प्रति नम़ता करना विनय होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मन्दिर में गुरु के दर्शन करने के लिए जूते ऐसी जगह रखना चाहिए कि भगवान् या गुरु की नज़र नहीं पड़े।
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विनय का तात्पर्य पूज्य पुरुषों का आदर करना है अथवा रत्नत्रय धारण करने वाले पुरुषों के प्रति नम़ता करना विनय होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मन्दिर में गुरु के दर्शन करने के लिए जूते ऐसी जगह रखना चाहिए कि भगवान् या गुरु की नज़र नहीं पड़े।